INTRODUCTION TO PAINT AND POLYMER

           TOPIC WISE DISTRIBUTE OF PERIOD


S.R. NO.
UNITS
1-
Basic of Paint
2-
Introduction to Drying and Nondrying Oil
3-
Fundamentals of Polymer
4-
Classification of Polymers
5-
Polymerization of Techniques

                    CHAPTER-1- Basic of Paint


आज हम IPPT सब्जेक्ट के  पहली Unit के महत्वपूर्ण निम्नलिखित हेडिंग के बारे में Syllabus  के अनुसार डिस्कस करेंगे। जैसे-
 General Introduction of paint,definition of paints and varnish,general classification of surface coating,mechanics of film formation.


General introduction of paint-   पेन्ट मुख्यतः दो या दो से अधिक सल्यूसन का होमोजिनियस मिक्चर होता है, जो प्रोटेक्टिव व डेकोरेटिव Purpose के लिए प्रयोग किया जाता है। 
प्रोटेक्टिव अर्थात वायुमंडलीय नमी के impact कारण लोहे की धातु पर जंग या मोर्चा (Fe2o3.xH2o) के प्रभाव से धातु का क्षरण होने लगता है,जिससे धातु पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। जिसको रोकने के लिए धातु की सरफेस पर पेन्ट की पतली प्रलेप को अप्लाई किया जाता है, जिससे धातु का क्षरण नही होता है, और धातु की लाईफ बढ़ जाती हैं। और देखने मे Attractive लगता है।


डेकोरेटिव अर्थात् महिलाओं के सजने व सवरने के लिए समान जैसे-नेलपाँलिस,लिपस्टिक आदि बनाने के लिये प्रयोग किया जाता है। 
इसके अलावा भी कई purpose के लिए paint का इस्तेमाल किया जाता है। 
जैसे-  Army  के टैंकों व वाहनों आदि पर जंगली रंग का पेन्ट अप्लाई किया जाता है, जिससे दुश्मन भ्रमित हो जाये। 
पेन्ट मुख्यतः रेजिन,पिगमेट,साल्वेंट,ड्रायर,प्लास्टिसाइजर,एडिटिव आदि कम्पोनेन्ट मिलाकर बनाया जाता हैं। 
*manufacture of paint के बारे मे हम आगे पढेंगे। 
Paint information


Definition of paint- पेन्ट एक रंगीन द्रव कम्पोनेन्ट है, जिसे एक पतली प्रलेप के रूप मे किसी सरफेस पर अप्लाई करते है,यह सूखने पर अपारदर्शी फिल्म के रूप मे प्राप्त होती हैं। इसका मुख्य कार्य किसी आधार या सरफेस को सुरक्षा व सुन्दरता प्रदान करना होता हैं। 
पेन्ट के raw material निम्न है। 
1-Pigment
2-Binder/Resin
3-Drier
4-Solvent
5-Plasticizer
6-Additives
आदि पेन्ट के अवयव होते हैं। 
*पेन्ट के raw material के बारे मे आगे गहराई से पढ़ेंगे।
Varnish-वार्निश को हम रंगहीन पेन्ट भी कह सकते हैं, अर्थात पेन्ट-पिगमेट =वार्निश, ।
      या
यह एक रंगहीन द्रव कम्पोनेन्ट होता हैं, जिसे किसी सतह पर  अप्लाई करते हैं, तो यह सूखने के बाद एक समान चमकदार व कठोर सरफेस प्राप्त होती हैं। 
Laqure-ये वे पेन्ट होते हैं जो सीधे साल्वेंट के evaporate होने से dry हो जाते है। जैसे- महिलाओं की नेलपाॅलिस। 


Classification of surface coating- सामान्यतः जो सतह पर पेन्ट की कोटिंग व वार्निश की कोटिंग की जाती हैं,उसे सरफेस कोटिंग कहते हैं। 
इसका वर्गीकरण विभिन्न प्रकार से किया जाता है। 
1-सूखने की प्रक्रिया के आधार पर-इसे भी दो भागों में बांटा गया है। 


(a)-कन्वर्टेबल कोटिंग-यह गर्मी पाकर सूखने वाली कोटिंग है, यह  सूख जाने के बाद दोबारा Solvent में नहीं  dissolve होती है।


(b)-नाॅन कन्वर्टेबल कोटिंग-वे कोटिंग जो सूखने के बाद पुनः साल्वेंट मे घुल जाती है ,जैसे-लैकर आदि। 


2-सूखने के ढंग के आधार पर- इसे निम्न भागों में बांटा गया है। 
(A)-Airdrying Coating-ये कोटिंग सतह पर अप्लाई करनें के बाद हवा में उपस्थित ऑक्सीजन के सम्पर्क में आने से कोटिंग का polymerization start हो जाता है,वह अपने आप dry हो जाता है। इसे ही Airdrying coating कहते हैं। 
सामान्यता इस प्रकार की कोटिंग को बनाने के लिए Drying oil का प्रयोग करते है।
(B)-Baking Coating --इसके नाम से ही स्पष्ट है कि  Bake अर्थात् कोटिंग को एक निश्चित ताप देकर सूखाते है,
सामान्यतः कोटिंग को 120°C ताप पर लगभग 30 मिनट तक ताप देते हैं। जिससे कोटिंग मे polymerization start  हो जाता है । जिसके पश्चात कोटिंग गर्म होकर बहुत dry हो जाती है।
यह प्रक्रिया इन्डस्ट्री में ज्यादा प्रचलित है। 
©-Force Drying coating-यह airdrying व force drying के बीच की कोटिंग है,अर्थात् सतह पर अप्लाई की गयी फिल्म को पहले 60-70°C ताप देकर गर्म करते है,फिर airdrying के लिए छोड़ देते है।जिसके बाद O2की उपस्थित मे polymerization start होता हैं, और कोटिंग dry हो जाती है। 
इसके बाद लैकर drying होता हैं। 
3-प्रयोग करने के आधार पर -इस आधार पर कोटिंग को दो प्रकार से बाॅटा गया है।
(a)-डेकोरेटिव कोटिंग- इसका प्रयोग सुरक्षा व सजावट के लिए किया जाता है। ये कोटिंग ज्यादातर airdrying होती हैं। 
(b)-इन्डस्ट्रीयल कोटिंग-वे कोटिंग जिनका प्रयोग इन्डस्ट्री में बने प्रोडक्ट जैसे-मोटरसाइकिल, कार,फ्रिज पर की जाने वाली कोटिंग को इन्डस्ट्रीयल कोटिंग कहते है।


4-प्रयोग करने के क्रम के आधार पर-इससे यह तात्पर्य है कि कौन सी कोटिंग किस क्रम मे की जाती है अर्थात् किसी सरफेस पर कोटिंग करनी है तो, सबसे पहले सतह पर अगर गढ्ढा है,तो सीलर लगाते है जिसके पश्चात प्राइमर फिर अण्डरकोट तथा इसके बाद टाॅपकोट करते है।
यह निम्न भागों में बांटा गया है-
प्राइमर-यह सबसे पहले की जाने वाली कोटिंग है।इसमे पिगमेट की मात्रा अधिक होने के कारण यह सतह को छुपा देता है,व सुरक्षा प्रदान करता है।तथा प्राइमर के ऊपर की जाने वाली कोटिंग को पकड़ प्रदान करता है। 
सीलर-इसे फिलर्स भी कहते है,इसमे भी pigment की मात्रा अधिक होती है,इसका प्रयोग सतह पर गडढो को भरने के लिए किया जाता है। 
अंण्डरकोट- यह प्राइमर के ऊपर की जाने वाली कोटिंग है। इसका मुख्य कार्य प्राइमर के रंग को छुपाने का है।यह टाॅप कोट से पहले की जाने वाली कोटिंग है, यह टाॅपकोट को अच्छी पकड प्रोवाइड कराता है।
टाॅप कोट -इसे फिनिश कोट कहा जाता है, इसका मुख्य कार्य अंण्डरकोट के ऊपर शेड प्रदान करना होता है।इसमे पिगमेट की मात्रा कम होती है,जिससे सतह पर चमक प्रदान होती है।


5-Solvent  के आधार पर वर्गीकरण-यह दो प्रकार का होता है। 
Solvent based Coating- जो कोटिंग साल्वेंट मे घोलकर की जाती हैं, अर्थात  इस प्रकार की कोटिंग कार्बनिक साल्वेंट मे dissolve हो जाती हैं।इस कोटिंग को करने से पहले विस्कोसिटी को एडजस्टमेंट करनें के लिए साल्वेंट मे घोला जाता है, जिसके बाद इस कोटिंग को सतह पर अप्लाई किया जा सके ,इसे ही solvent based coating कहते हैं। 
Water based Coating- इस कोटिंग को  water में घोलने पर विस्कोसिटी को एडजस्टमेंट करते हैं,इसके बाद अप्लाई करते हैं। इस प्रकार की कोटिंग को water based coating कहते है।
इससे पर्यावरण भी दूषित नही होता है। 


6-विशिष्ट प्रयोगो के आधार पर-इस प्रकार से कोटिंग कई प्रकार की होती हैं। जैसे-समुद्री जहाज मे की जाने वाली,एयरप्लेन मे की जाने वाली कोटिंग, डिफेंस क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाली कोटिंग, पेपर प्लास्टिक व लेदर मे प्रयोग की जाने वाली कोटिंग आदि। 
7-चमक के आधार पर वर्गीकरण-यह तीन प्रकार की होती है। 
(a)-मैट कोटिंग-इस प्रकार की कोटिंग में पिगमेट की मात्रा अधिक होती है, और रेंजिन या बांइडर की मात्रा कम होती है, जिसके कारण कोटिंग मे चमक नही होती हैं। 
 (b)-सेमी ग्लास कोटिंग-इसमे Pigment और Binder की मात्रा बराबर होती हैं। इस कोटिंग मे थोड़ी-बहुत चमक होती है। 
©-ग्लासी कोटिंग-इसमे Pigment कम और Binder की मात्रा अधिक होती है, जिसके कारण कोटिंग बहुत चमकदार होती है


इस chapter से related heading ऊपर लगभग पूरा विवरण दिया गया है, अगर इस chapter को लेकर आपके पास कोई doubt है तो काॅमेंट करके पूछ सकते हैं। एवं इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ साझा करें। 
धन्यवाद!

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